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5 Aug 2019 · 1 min read

ग़जल

ग़जल
212 212 212 12

आज की शाम वो क्यों मिला नही।
है मुझे कोई शिकवा गिला नही।

आह कैसे भरूँ देख के उसे,
जो कभी साथ मे ही रहा नही।

कौन सी है जगह वो चला गया,
इस शहर में कभी फिर दिखा नही।

चश्म तो ढूंढ लेंगे उसे कहीं,
आज वो हाथ फिर से लगा नही।

किस तरह रंग है जो लगा मुझे,
नाम उसका जुबां से हटा नही।

‘मैं’ फना चाहता था उसे कभी,
दिल्लगी आज तक भी किया नही।

Rishikant Rao Shikhare
23/07/2019

238 Views
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