ग़जल
ग़जल
212 212 212 12
आज की शाम वो क्यों मिला नही।
है मुझे कोई शिकवा गिला नही।
आह कैसे भरूँ देख के उसे,
जो कभी साथ मे ही रहा नही।
कौन सी है जगह वो चला गया,
इस शहर में कभी फिर दिखा नही।
चश्म तो ढूंढ लेंगे उसे कहीं,
आज वो हाथ फिर से लगा नही।
किस तरह रंग है जो लगा मुझे,
नाम उसका जुबां से हटा नही।
‘मैं’ फना चाहता था उसे कभी,
दिल्लगी आज तक भी किया नही।
Rishikant Rao Shikhare
23/07/2019