ग़जल
विषय- मित्र/दोस्त
विधा- ग़जल
(शिकवा नहीं किसी से किसी से गिला नही)
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
कुछ धूप सा खिलो तुम मौसम बहार में।
यूँ दोस्त सा मिलो तुम मौसम बहार में।
खाली सी* हो गई सब बोतल शराब की,
अब रूह में बसो तुम मौसम बहार में।
जो भी इताब है तुम सारा कहा करो,
फिर भी गले लगो तुम मौसम बहार में।
संदल महक रहा उसके भर शबाब में,
खुश्बू बिखेर दो तुम मौसम बहार में।
उम्मीद पास में सब जगमग सी* कर रही,
हर ख़्वाब में सजो तुम मौसम बहार में।
इताब= गुस्सा; संदल= चंदन; शबाब= यौवन काल।
ऋषिकान्त राव शिखरे
अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।