ख़्वाब आँखों में सजे उसको दिखाऊँ कैसे
ख़्वाब आँखों में सजे उसको दिखाऊँ कैसे
हैं जो ज़ज़्बात मुहब्बत के बताऊँ कैसै
तेरे आने की ख़ुशी आज मनाऊँ कैसे
तेल-बाती भी नहीं दीप जलाऊँ कैसे
जो वफ़ादार हुये वो ही वफ़ा के दुश्मन
ऐसे किस्से भी बहुत सबको सुनाऊँ कैसे
फ़ासला भी जो रहा और न मौका ही मिला
प्यार कितना है मेरे दिल में बताऊँ कैसे
रंजोग़म की हो कोई बात कहूँ कैसे मैं
प्यार जिससे है बहुत उसको रुलाऊँ कैसे
एक मुद्दत से मेरे दिल में लगी आग है जो
उसको किस आब से इसबार बुझाऊँ कैसे
मेरी कश्ती जो भँवर में है फंसी उसको तो
आज बाहर मैं भंवर से भी तो लाऊँ कैसे
बच तो आया हूँ ज़माने से बहुत अच्छा है
ख़ुद से ख़ुद को ही मगर आज बचाऊँ कैसे
प्यार में कह तो दिया चाँद-सितारे ला दूँ
बाद ‘आनन्द’ कहे आज मैं लाऊँ कैसे
– डॉ आनन्द किशोर