ख़ूबसूरत शै को अक़्सर देखिए
मेरा दिल है आपका घर देखिए
जी न चाहे फिर भी आकर देखिए
आप हैं, मैं हूँ, नहीं कोई है और
क्या मज़ा है ऐसे भी गर देखिए
देखते रहने से बढ़ जाती है शान
ख़ूबसूरत शै को अक़्सर देखिए
मेरी तो हर ख़ामियाँ बतला दीं, अब
वक़्त हो तो ख़ुद के अन्दर देखिए
मैं दिखाता हूँ अब अपना हौसला
जैसा देखा उससे बेहतर देखिए
हुस्न बेपर्दा हुआ तो लुत्फ़ क्या
नीम पर्दा उसके तेवर देखिए
माना ग़ाफ़िल लौटकर आएँगे आप
रस्म है, फिर भी पलटकर देखिए
-‘ग़ाफ़िल’