#कुंडलिया//दुलहंडी
दुलहंडी शुभ पर्व पर , ठाने मन में बात।
अंतर का तम दूर कर , समता खिले प्रभात।।
समता खिले प्रभात , रीत की खेलें होली।
रंग प्रीत का डाल , प्रेम की बोलें बोली।
सुन प्रीतम की बात , नीति ख़ुशियों की मंडी।
रंग-रंग के खेल , मना उत्सव दुलहंडी।
#आर.एस. ‘प्रीतम’