ख़ुशियाँ बेचने हम आये हैं
माटी के हांथों से
माटी के दिए बनाए हैं
ले लो सोने के दिलवाले इन्हें,
ख़ुशियाँ बेचने हम आये हैं,
रहे उजाला तुम्हारे घर आंगन में
सब को ख़ुशियों का उपहार मिले
मेरे घर में भी बाल गोपाल हैं,
उनके लब पर भी
दीपावली की मीठी मुस्कान खिले
अंधेरे आंगन में भी कुछ दीप जले
रहो सलामत तुम और तुम्हारे बच्चे
हम को तो बस कुछ अनुदान मिले
मेरे बच्चे खाये बतासा जलेबी
तुम्हारे बच्चों को रोगन बादाम मिले !
…सिद्धार्थ