ख़िलखिलाते रहो…
खिलखिलाते रहो मुस्कुराते रहो,
साथ में प्यार के गीत गाते रहो।
तुमको दौलत मिले खूब शोहरत मिले,
तुम सितारों सा अब जगमगाते रहो।
बेवफ़ाई अगर उनकी फितरत में हो,
तुम वफ़ाओं की रस्में निभाते रहो।
मिलने-जुलने पे बंदिश लगी हो अगर,
उनकी यादों को दिल में बसाते रहो।
गर मोहब्बत में हो जाये रूसवाईयाँ,
जब तलक हो सके तुम मनाते रहो।
मुश्किलातों भरा है सफर प्यार का,
हर कदम सोच कर तुम बढ़ाते रहो।
“दीप” कहता है ये जिंदगी गीत है,
प्यार से जिंदगी गुनगुनाते रहो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
4 मई 2021