ख़तावार है नहीं हथौड़ा
टूटा दिल बोला जब पूँछा “किसने तिनका तिनका तोड़ा?”
हाँथ लग गया था अपनों के ख़तावार है नहीं हथौड़ा।।
आँखों से अविरल धारा ने, रह रह गीत दर्द के छेड़े।
आते जाते मौसम ने जब नाज़ुक दिल को दिए थपेड़े।
कोई वादा करके मुकरा, कोई ठुकराकर मुस्काया।
खुद ही दर्द दवाना सीखा जब अपनों ने किया पराया।
थोड़ा तीखा थोड़ा अड़ियल थोड़ा लापरवाह हुआ है,
चोटें खाकर दिल का हुलिया बदल गया है थोड़ा थोड़ा।।
संजय नारायण