// क़िस्मत //
तन्हाईयाँ भी तन्हाइयों को
रास नही आतीं।
कुछ तो खता होगी वर्ना काली घटाएँ
यूहीं उजालों के पास नही आती।
मंज़र यूहीं नही बदलता
बुरी नजरों के देख लेने से।
कुछ तो कमी होगी हाथों की लकीरों में
वर्ना मेरी ही क़िस्मत इतनी उदास नही आती।
Viraz