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14 May 2018 · 1 min read

क़सूर क्या था..

मुझे यूँ तन्हा छोड़कर ,
वो क्यों सता रहे हैं ।
मुक़्क़द्दर है ये मेरा,
कि अब बेबक्त याद आ रहे हैं ।

आख़िरी मंज़िल मानते थे,
कभी उस राह को अपना,
आज न करते हैं मुखड़ा,
उस तरफ़ गलती से अपना ।

रब नहीं सुनता है मेरी,
या बल मेरी आवाज में नहीं,
मुझे अब सुनता नहीं कोई,
और न परवाह है किसी को ।

वक़्त क्या भूले हैं वो अपना,
याद नहीं रहा कोई वायदा ।
क्यूँ तब ये मुझसे बोला था,
मिलूँगी हर रहगुज़र में तुमसे ।

दिया है नाम अब मुझको,
उन्होंने प्यार से बेवफ़ा ।
किया है काम क्या ऐसा ,
कभी नज़रों में आकर बता ।

मान भी लेता में शायद,
दिया है तूने मुझे तोहफ़ा ।
अगर तू कह देती आकर,
दिया है मैंने तुझे धोखा ।

अब तो रहता है मुझे अफ़सोस,
बस तेरे उन इल्ज़ामों का ।
क्या क़भी सोचा है तूने,
हाल क्या है तेरे दीवाने का ।

“आघात” मिला क्या तुझको,
तेरी उस नेक नियत का ।
कभी भी थाम लेता दामन,
तू उसकी ही पड़ौसन का ।

©®आर एस बौद्ध “आघात” ©®
8475001921

Language: Hindi
2 Likes · 479 Views
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