क़दम क्यूँ ठहर जाते हैं…
क़दम क्यूँ ठहर जाते है…
गली से जब वो गुज़रते हैं…क़दम क्यूँ ठहर…2
डर में जब सहमे रहते थे…
वो हमसे इश्क़ कर बैठे…डर में जब सहमे रहते थे…2
हमारी उम्र भी क्या थी…
फ़िर भी वो प्यार कर बैठे…..2
अपनी ही अदा में खोए थे सनम,
अदा भी उनकी निराली थी,
जिसे हम समझ बैठे शबनम,
वो बेमौसम की हरियाली थी ।
आज फ़िर दिन ये बदला है…
बदला मौसम का नज़ारा… आज फ़िर दिन ये …2
कल उन्हें इश्क़ था हमसे…
अब ये दिल उनपे आया है…..2
इश्क़-मोहब्बत का जुनून ऐसा तो कभी न था,
जिसको हमने समझा था सनम…
वो तो सनम का ख़्वाब था ।
हाल हम अपनी मुहब्बत का..
बतायें तो बतायें क्या….हाल हम अपनी मुहब्बत का…2
दर्दे बदहाल ख़्वाबों को…
सजाएँ तो सजाएँ कैसे…
कदम क्यूँ ठहर जाते हैं…
गली से जब वो गुजरते हैं…2