चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे...
गुरु ही वर्ण गुरु ही संवाद ?🙏🙏
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
నీవే మా రైతువి...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
Just in case no one has told you this today, I’m so proud of
मैं "परिन्दा" हूँ........., ठिकाना चाहिए...!