ज़िंदगी को किस अंदाज़ में देखूॅं,
"" *आओ बनें प्रज्ञावान* ""
उसके कहने पे दावा लिया करता था
खाक में मिल जाएगा ये मिट्टी का बदन तेरा.......
धन, दौलत, यशगान में, समझा जिसे अमीर।
एक दिन सब ही खाते थे आम आदमी।
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*यों खुली हुई ऑंखों से तो, जग ही दिखलाई देता है (राधेश्यामी