बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
मित्रो मैं इस प्लेटफॉर्म से मेरी सारी रचनाओं को हटाने जा रह
ये शराफत छोड़िए अब।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
#अभी सवेरा दूर बहुत
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
पार्टी-साटी का यह युग है...
*वर्षा आई ऑंधी आई (बाल कविता)*
सोचा ना था ऐसे भी जमाने होंगे
कौन सा जादू टोना करते बाबा जी।