हक़ीक़त- ए- हाल
टूटे क़ल्ब की कोई सदा नहीं होती ,
झूठे रिश्तो से बड़ी कोई सज़ा नहीं होती ,
ला-हासिल ख्वाहिशें कभी मज़ा नहीं देती,
बेपरवाह ज़िंदगानी फ़क्त कज़ा बन रह जाती ,
इंसाँ की अना बाइस – ए- अफ़सोस बन रह जाती ,
दौलत की चाहत दिल को कभी सुकुँ नही देती ,
शक के बादलों से घिरकर वफ़ा हमेशा फ़ना होती ,
सच्ची दोस्ती हमेशा क़ुर्बान चाहत की मोहताज़ होती,
इल्म़ की दौलत बांटने से बढ़ती ही जाती कम नहीं होती ,
मज़लूमों के करम -फरमा पर खुदा की नज़र -ए- इनायत होती ,