ह्रदय की पीड़ा से
जीवन सुख-दुःख का सम्मिश्रण
स्तब्ध, मौन समस्त संसार
ह्रदय की मूक पीड़ा से
अचल प्रेम की वेदना से
पलकों की चिक डारी से
उबल पड़ी है असुअन की
अविरल जलधार
जिसका नहीं कोई विराम !
डाॅ○फ़ौज़िया नसीम शाद
जीवन सुख-दुःख का सम्मिश्रण
स्तब्ध, मौन समस्त संसार
ह्रदय की मूक पीड़ा से
अचल प्रेम की वेदना से
पलकों की चिक डारी से
उबल पड़ी है असुअन की
अविरल जलधार
जिसका नहीं कोई विराम !
डाॅ○फ़ौज़िया नसीम शाद