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27 Apr 2024 · 1 min read

हौसला

दिल में बसी कसक को लबों तक आने दो ,
दर्दे दिल ना छुपाओ मा’रिज़ -ए -इज़हार में आओ ,

दर्द दिल में छुपाते-छुपाते कहीं
नासूर ना हो जाए ,
गम में डूबी इस ज़िदगी में जीना कहीं
दुश्वार ना हो जाए ,

जुल्मो तशद्दुद के खिलाफ़ आवाज़ उठाने का
हौसला बनाओ ,
अपनी हस्ती को पहचानो , अपने सोए हुए
ज़मीर को जगाओ ,

वरना , ज़ालिम ज़माने में तेरी हस्ती
सिमटकर रह जाएगी ,
हैवानियत बुलंद हो , शिकस्ता-हिम्मत ज़िंदगी
सिसकती रह जाएगी।

Language: Hindi
100 Views
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