हौसला जब भी तुम्हारा जाएगा
हौसला जब भी तुम्हारा जाएगा |
दूर हाथों से किनारा जाएगा ||
मेमने की आँख में देखो तो तुम |
किसके हिस्से में बेचारा जाएगा ||
सोच पाता काश वो कमज़र्फ़ यह |
फिर उसी दर पर दुबारा जाएगा ||
गर्मियाँ बढ़ने लगी हैं शहर में |
देखिए कितना ये पारा जाएगा ||
उंगलियाँ मेरी उठीं तो सोच लो |
दूर तक मेरा इशारा जाएगा ||
घर की दीवारों पे मेरे छत नहीं |
चाँद को किस पर उतारा जाएगा ||
रोग जिसको लग गया सच का “नज़र” ;
देखना बेमौत मारा जाएगा ||
Nazar Dwivedi