हौंसलों की उड़ान
हौंसलों की उड़ानें हुईं कम नहीं |
कट गये पर मिरे ऐ खुदा ग़म नहीं |
कश्तियों को लिए मैं चला जा रहा,
रोक ले राह, तूफ़ान में दम नहीं |
दर्द लाखों दिए ज़िन्दगी ने हमें,
आँसुओं से डरें ग़र तो हम – हम नहीं |
गुलशनों में यूँ खुशबू बरसती रहे,
अब उदासी में आँखें दिखें नम नहीं |
हर कली देखकर ऐसे मचलो न तुम,
चाँदनी रात हर एक पूनम नहीं |
मेरे रोनें का उसको पता चल गया,
माँ के जैसा यहाँ कोई म़रहम नहीं |
इल्तज़ा है ख़ुदा तुमसे “अरविन्द” की,
अब किसी झोपड़ी में हो मातम नहीं |
✍अरविन्द त्रिवेदी
महम्मदाबाद
उन्नाव उ० प्र०