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15 Jul 2020 · 1 min read

हौंसले गिरने न दिए

ठोकर खाके गिरा था मैं कई बार
कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए
मुश्किलों में बिखरा था कई बार
मगर कदम अपने रुकने नहीं दिए

कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए

हर ठोकर पे और मजबूत हुए मेरे इरादे
याद रहे मुझे खुद से किए हुए सभी वादे
अंधेरों ने भी घेरा मुझे कई बार
मगर दिये उम्मीदों के बुझने नहीं दिए

कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए

दुश्मनों ने मुझे रोकने की कोशिशें भी कीं
तमाम सितम भी ढाए और साजिशें भी कीं
तराशता रहा और मैं अपने हुनर को “अर्श”
मैंने अपने कांधे कभी झुकने नहीं दिए

कभी अपने हौंसले गिरने नहीं दिए

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 374 Views
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