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13 Oct 2022 · 1 min read

हौंसला

रुका सा हूँ, थमा सा हूँ, थोड़ा सा मैं सहमा सा हूँ,
गुमसुम हूँ, अनजान हूँ, यूँ तो मैं गुमनाम हूँ,

निगाहों से ही कह जाते हैं, थोड़ा सा मुझे सह जाते हैं,
यूँ तो मैं अनजान नहीं, पर शब्द उनके मन में रह जाते हैं,

थोड़ी सी थकान है, दिल भी कुछ है भारी,
ना जाने आज फिर से क्यूँ आई है मेरी ही बारी,

घबराहट भी है, सुकून भी है और है थोड़ी सी बेबाक़ी,
ना जाने मन क्यूँ कहता है कि अभी हौंसला है बाक़ी।

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