हो समाज का हित ___ मुक्तक
हो समाज का हित जिसमें लेखनी मेरी वही लिखे।
मेरे लेखन में भेदभाव के कभी कोई शब्द नहीं दिखे।।
साहित्य दर्पण है _ मेरा इसी में समर्पण है।
स्वच्छ _ निर्मल _ सुंदर छबि सही सही दिखे।।
राजेश व्यास अनुनय
हो समाज का हित जिसमें लेखनी मेरी वही लिखे।
मेरे लेखन में भेदभाव के कभी कोई शब्द नहीं दिखे।।
साहित्य दर्पण है _ मेरा इसी में समर्पण है।
स्वच्छ _ निर्मल _ सुंदर छबि सही सही दिखे।।
राजेश व्यास अनुनय