हो….ली
हो ….ली होली
हो ….ली खाक जब उम्मीदों को की रोलीयां।
फिर कैसे रंग और ……कैसी होलियां।
हो ….ली खाक जब उम्मीदों की रोलीयां।
वक्त बदला….. पीछे रह गई रंगों की टोलियां।
फिर कैसे रंग और ……कैसी होलियां।
मार कर जिंदगी ने लगाई सांसों की बोलियां।
हर कहीं दुआओं के लिए हमने भी फैलाई थी झोलियां।
फिर कैसे रंग और ……कैसी होलियां।
हो ….ली खाक जब उम्मीदों की रोलीयां।
विखर गये रंग सारे हाथों से छूटी जन्मों की डोरियां।
फिर कैसे रंग और ……कैसी होलियां।
हो ….ली खाक जब उम्मीदों की रोलीयां।
नहीं भाते रंग अब वक्त ने रंगों को ऐसा धो दिया।
फिर कैसे रंग और ……कैसी होलियां।