हो युवा तुम, वायु की रफ्तार रखो
हो युवा तुम,वायु सी रफ्तार रखो
जोश भी हो , और होश भी
ऐसा तुम रूप धरो और व्यवहार करो
बदलो रुख तुम शुष्क फिज़ा का
सावन का अवतार रचो
देख रहा तुम्हें बहुत उम्मीदों से
चाहे वो हो मासूम बचपना
चाहे 60 कोई पार खड़ा हो
तुम पर ही निर्भर है अब
इस देश का दारोमदार
तैरा दो इस देश की नैया
ना भटकाना इसे बीच मंझदार
त्यागो सुस्त रवैया अपना
करो देश से प्यार
©®।। मंजुल मनोचा ।।©®