हो तुम किसी मंदिर की पूजा सी
तू ही वज़ह है, मेरे जीने की।
जीने का वैसे मुझे शौक नहीं।
तेरी स्माइल पर मैं मरता हूं।
तेरी नाराज़गी से डरता हूं।
तू लगे मुझे कत्तई ज़हर सी।
किसी सूरज की किरण सी।
आती जो महक किसी मंदिर की पूजा सी।
तू लगे मुझे कत्तई ज़हर सी।
किसी सूरज की किरण सी।
आती जो महक किसी मंदिर की पूजा सी ।
हॉले – हॉले दिल मेरा मचलता है ।
जैसे बादलों से सूरज निकलता है।
बन के घटा तू मुझ पर बरसती हैं।
मेरी ज़िन्दगी है थमी,तड़प जाए जगी।
पा लिया सब कुछ मैंने बस तेरी है इक कमी।
मेरे दिल की तरंग मेरी हौसला उमंग।
तू है बिखरती आसमा से चांदनी सी।
तू लगे मुझे कत्तई ज़हर सी।
किसी सूरज की किरण सी।
आती जो महक किसी मंदिर की पूजा सी।
तू लगे मुझे कत्तई ज़हर सी।
किसी सूरज की किरण सी।
आती जो महक किसी मंदिर की पूजा सी ।
मेरी धड़कन ये कहती है ।
मेरी जान तुझमें बसती है।
सब कुछ मंज़ूर हमको जो भी तू कहती है।
तेरे दुपट्टे की छोर से बंधा तेरी हर मैं डोर से।
उद्घाटन मैं कर दूं काट किसी फ़ीता सी।
नखरे उठाए हम तेरे संग गाए हम।
हर लम्हा हर पल हसती रहे तू।
देखी ना जाए हमको तेरी उदासी।
तू लगे मुझे कत्तई ज़हर सी।
किसी सूरज की किरण सी।
आती जो महक किसी मंदिर की पूजा सी।
तू लगे मुझे कत्तई ज़हर सी।
किसी सूरज की किरण सी।
आती जो महक किसी मंदिर की पूजा सी ।
Lyricist – RJ Anand Prajapati ❣️❣️