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25 Mar 2024 · 1 min read

* हो जाता ओझल *

** कुण्डलिया **
~~
हो जाता ओझल कभी, बादल में है चांद।
किंतु पुनः दिखता हमें, कुछ ही पल के बाद।
कुछ ही पल के बाद, सत्य है शाश्वत रहता।
देखो अपने आप, आवरण मिथ्या हटता।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, सत्य कभी छुप न पाता।
घन छटने के बाद, दृष्टि गोचर हो जाता।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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