हो जाओ
मोहबत में गुलाब हो जाओ
मंजर ए मेहताब हो जाओ
इस तरह करो मोहबत हमसे
बिल्कुल लाजबाब हो जाओ
बस इतना ही कहूँगा साथी
चाँदनी मय रात हो जाओ
बस एक ही है ख्याहिश मेरी
तूम आँखों का ख्याब हो जाओ
भले जमाना हम पर सवाल उठाये
तुम सभी के लिये जबाब हो जाओ
माथे की लकीरों को बदल कर
तुम मेरी उजली शाम हो जाओ
बिल्कुल बेबाक निडर मेरी तरह
तुम खुली किताब हो जाओ
प्रकृति नियमो को तार तार कर
तुम गर्मी में बरसात हो जाओ
मेरे दिल की बंजर जमी पर साथी
तुम तेज सी बरसात हो जाओ
मेरी आँखों मे पतझड़ लगा है साथी
तुम मेरा महकता हुआ बसंत हो जाओ
मोहबत की चोट से कभी टूटना मत
तुम पाषाण से भी कठोर हो जाओ
लैला मंजनू हीर रांझा सी नही
तुम मुझे मिलो वैसी हो जाओ
राधा बन मुझे भले ही हँसना मत
लेकिन रुक्मिणी सा साथ हो जाओ
लोग मोहबत की मिसाल ताज से देते है
मेरी मुमताज तुम बेमिसाल हो जाओ
तुम मेरी आँखों मे बसती हुई साथी
ऋषभ की धड़कती आवाज हो जाओ
रचनाकर ऋषभ तोमर