हो जाओ होशियार फिर मक्कार आ गए।
हो जाओ होशियार फिर मक्कार आ गए।
लाशों को नोंचते हैं वो बदकार आ गए।
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सीरत है गिरगिटों की वे करते हुंआ हुंआ।
खुद को समझते शेर वे सियार आ गए।
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करते हैं राजनीती जो तफ़रीह के लिए।
जो खुद से हैं बेज़ार वो बाज़ार आ गए।
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जिनके लिए नियम नहीं कानून कुछ नहीं।
है खून में सरकार वो सरकार आ गए।
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कुर्ता सफेद ओढ़कर शोहदों के झुंड ले।
लड़ने लड़ाई सच के पैरोकार आ गए।
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जो सोचते हैं ये वतन जागीर है उनकी।
वो तोड़ने को इसको हो तैयार आ गए।
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है सख़्त जरूरत “नज़र” जिनको इलाज की।
बन कर हकीम सारे वो बीमार आ गए।
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