हो गया है ख़फा शजर मुझसे
रूठ जाना सनम “मगर मुझसे
फेर लेना “”””नहीं नज़र मुझसे
कल तलक छाँव दे रहा था जो
हो गया है ख़फा “”शजर मुझसे
किससे पूछूँ पता मैं खुशियों की
है मुखालिफ़ यहाँ नगर “”मुझसे
मेरे ख़्वाबों में आके ऐ दिलबर
बात करना तू रात भर मुझसे
होके बेखौफ़ पास आजा तू
तेरा दीवाना हूँ “”न डर मुझसे
किस तरह जीतते हैं दिल “प्रीतम”
सीख ले आज़ ये हुनर मुझसे
प्रीतम राठौर भिनगाई