हो गए बदनाम क्या जमाने में हम
राह पर वो सामने नज़र आने लगे मुझे
मुहब्बत के ही नाम पर बतियाने लगे मुझे
हो गए बदनाम क्या जमाने हम जरा
अंधे भी अब तो आँख दिखाने लगे मुझे
खाई है ठोकर मैने अपनो से ही यारों
देखो कैसे गैर भी अब सतानेे लगे मुझे
हो गई मुहब्बत मुझे जब से तुम से यार
बोल कड़वे भी सभी सुहाने लगे मुझे
कहते थे होती सुबह है मेरे ही दिद से
आज वो ही गैरों के संग चिढ़ाने लगे मुझे
गुलजार कर दी राह मेरी प्यार में सनम
शबनमी फुहारों से भिगाने लगे मुझे
याद दिला न मुझे अपने तराने प्यार के
दास्ताँ बेवफ़ाई की याद आनें लगे मुझे
परवाह नहीं जमाने की कँवल को तो यारों
सारे जहाँ की खुशियाँ वो दिलाने लगे मुझे