” होशियारी “
सगे , सुंदर और प्यारे रिश्तों को
संभालने में लगे हैं आप हम
इसी सबके बीच आइये
परिचय कराते है आभासी रिश्तों से हम ,
जो रिश्ते सदियों से चले आये हैं
वो हक़ीकत होते है
आजकल तो छणिक रिश्तों का चलन है
उसको आभासी कहते हैं ,
अपने हक़ीकत के रिश्तों से उब कर
नये रिश्ते ढूंढने में लग जाते हैं
इस मृगतृष्णा में उलझ कर
आभासी रिश्तों में खो जाते हैं ,
कभी – कभी आभासी अपना सा लगता है
लेकिन हर बार नही बार – बार नही
फिर ठोकर खाकर ये रिश्ता
अपने अर्थ को सही साबित करता है ,
हर बात हर तथ्य सौ प्रतिशत सही नही होती
लेकिन सही ज्यादा को ही कहते हैं
आभासी को बेहद हल्के से हल्के में लो
इसी समझदारी को होशियारी कहते हैं ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 29/10/2020 )