होली
बुरा ना मानो होली है यह हमरे दिल की बोली है
लेकर आई होली , जब वसंत के रंग
क्यों न खेलें हम सभी , प्रकृति के संग
छोड़ें रासायनिक रंग , खेलें प्राकृतिक रंग
छोड़ें रंजो गम , रहें एक दूजे के संग
होता रंग में भंग , इसलिए कम खाएंगे भंग
ओम् दूर कुसंग से , करते रहें सुसंग
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्य प्रदेश