होली
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प्रेम व सौहार्द का त्यौहार होली,
सरलता, समभाव का आधार होली।
रँगो निज को भूलकर मतभेद सारे,
मलिन मन से है नहीं स्वीकार होली।।
यूँ लगे ज्यों प्रकृति के उद्गार होली,
रंग – रस, मृदंग का बाजार होली।
प्राण में स्फूर्ति का संचार होली,
साथ लाई फागुनी बौछार होली।।
दे गई आशीष मेरे द्वार होली,
डाल बासंती गले में हार होली।
कामना मैं करूँ ईश्वर की कृपा से,
आइये और गाइये हर बार होली।।
– नवीन जोशी ‘नवल’