होली आने वाली है
होली आने वाली है,
चलो इस बार,
हर दिलों से,
अमानवीय भेदभाव को ही जला दें।
नफरत की दीवार,
जो खड़ी की जा रही है,
चलो इस बार,
हम सब मिलकर,
उस दीवार को ही ढहा दें।
होली आने वाली है . . . . . .
कोई तो है जो इन फिजाओं में,
हैवानियत का जहर घोल रहा है।
मर मिटते थे एक दूसरे के लिए
पर आज दिलों में खून खौल रहा है।
कोई बात नहीं मजहबी बातें होने दो,
चलो इस बार,
हर दिलों में,
इंसान की इंसानियत को ही जगा दें।
होली आने वाली है . . . . . .
न रहेगी बांस न बजेगी बांसुरी ,
क्युं न हम,
समस्याओं की जड़ में ही प्रहार कर दें।
जीतने भी गीले शिकवे हैं सब मिटाकर,
क्युं न हम,
एक ही रंग में सबको सराबोर कर दें।
कोई बात नहीं,
भड़काने वाले को भड़कानें दो।
चलो इस बार,
हर दिलों से,
संप्रदायिक विचारों को ही जला दें।
होली आने वाली है . . . . . .
हमारा जन्म ही कुदरती है,
कुदरत से ही हमारी पहचान है,
चलो प्रकृतिवादी बन जाएं।
अप्राकृतिक और संप्रदायिक,
ताकतों के आगे,
मजबूती से चलो हम तन जाएं।
कोई बात नहीं,
नफरत को भड़काने दो।
चलो इस बार,
हर दिलों में,
प्रेम प्यार भाईचारे की रंग गुलाल लगा दें।
होली आने वाली है . . . . . .
नेताम आर सी