होली
होली
फाल्गुन के सतरंगी कलश का उपहार
करो “देव राज मित्तल” से स्वीकार
सर्वश्री आदरणीय “जसबीर”
संग “दिग्विजय” मस्तक पर शोभित करुँ स्नेहिल अबीर
सादर “माँ सा” के कर चरण स्पर्श
रोली लगाऊं सहर्ष
भंग की तरंग में-“सुहासनी” के संग में
सराबोर होऊं सबरंग में
अबीर-गुलाल की बौछार, रंगों की बाहर
करूँ प्रेषित “आकाश-सिंदुरा” के द्वार
रंगों की वाटिका में
“बृजेश संग नूपुर” की झंकार
फाल्गुनी उल्लास, उमंग का संचार
मादकता बिखराऊं, स्नेह बरसाऊं
हो हर्षित-पुलकित “रणवीर,साहिल,मनन” को अपने हृदय से लगाऊं….
सुनील पुष्करणा (04/03/2017)
होली की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ
“सुनील”