+होली है भई होली है
होली के त्यौहार की होती ऐसी रीत
पक्का रंग लगाकर जलाते सब प्रीत
जीजा साली और देवर भाभी संग
होली के त्यौहार में खिलते उमंग के रंग
उधर चाची फूफा को धोकर कर देती बदरंग
हमको भी याद है उस समय की होली
ना जाने जिसको भी उसके ऊपर डोली
चाहे पुकारे या फिर दे हमको वो गाली
होली है भई होली है बुरा न मानो होली है
यही गीत गाती चलती मेरी टोली है।
– सीमा गुप्ता