होली है भई होली है
दिन दमकता, शाम शामली,
पुरवइया ने बाँह थाम ली,
नव – पल्लव करताल बजाते,
भ्रमर नाचते कली – कली,
फगुनाई के मौसम में, हृदय में ठिठोली है,
होली है भई होली है, होली है भई होली है।
गदराई सरसों की खुशबू,
मकरंद में रस घोल रही है,
सरक गए कलियों के घूँघट,
टेसू से नेह जोड़ रहीं हैं,
बौराए तन-तरुवर,मन अबीर और रोली है,
होली है भई होली है, होली है भई होली है।
कूज-कूज के कोयलिया,
फागुन से मनुहार करे,
रजनी के अलसे नैनों में,
महुए से श्रृंगार करे,
मीठा-मीठा टीस जगाती, ये साँसों की डोली है,
होली है भई होली है, होली है भई होली है।