होली में
रंग अबीर लगाओ भइया होली में।
मन से बैर भुलाओ भइया होली में।
करते हो हुड़दंग नशे में क्यों आकर,
मदिरा मत छलकाओ भइया होली में।
बकरा-बकरी, मुर्गा-मुर्गी छोड़ो तुम,
गुजिया पुआ खिलाओ भइया होली में।
ऊंच नीच का भेद नहीं रहने पाए,
सबको गले लगाओ भइया होली में।
एक रंग में सराबोर कर दो सबको,
खुशियां खूब लुटाओ, भइया होली में।
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा सूर्य