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19 Mar 2022 · 1 min read

होली में परदेसी

होली में परदेसी ।
——————————-

विष्णु की भक्ति में ,रमने लगे प्रहलाद
हिरण्यकश्यप को ,होने लगा अवसाद
क्रोधित हिरण्यकश्यप ने रखा फरियाद
जली होलिका ,कथा है सबको याद
पर नफरतों को जड़ से मिटाकर
प्रेम के रंग, अबीर गुलाल लगाकर
दूर करो दिल से सारे विवाद
यह साहित्य ,संगीत, ब्रज की होली है
जिससे उल्लसित हुआ है सारा जहां
जिस पर क़लम चलाकर, चर्चित हुए थे
विद्यापति, घनानंद, रसखान ।
आज भी मन का मृदंग बाज रहा है
साहित्यकारों के दिल में हुआ है नाद
चारों तरफ है खुशी का माहौल है
रसोई में बन रहा है पुआ-पकवान
यह संस्कृति है, भारत की जान
परदेसी अपने घर चले आए हैं
बच्चों के लिए पिचकारी लाए हैं
थैली में भरा हुआ है खूब समान
होली खेलेंगे बूढ़े ,बच्चे व जवान ।।
************************

नेतलाल यादव ।।
उत्क्रमित उच्च विद्यालय शहरपुरा ,जमुआ, गिरिडीह, (झारखंड)

Language: Hindi
169 Views
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