होली पे त्याग की पिचकारि लेके
होली पे त्याग की पिचकारि लेके,
प्रेम गुलाब जल भीजि भीजि के,
अमिय की चाह में लोटि लोटि के,
फाग की धुन्ध में समेटि तोरि के,
आयें सब मिलके आनन्द यों करें,
गुजिया की मीठि मीठी खण्ड के।
©अभिषेक पाराशर
होली पे त्याग की पिचकारि लेके,
प्रेम गुलाब जल भीजि भीजि के,
अमिय की चाह में लोटि लोटि के,
फाग की धुन्ध में समेटि तोरि के,
आयें सब मिलके आनन्द यों करें,
गुजिया की मीठि मीठी खण्ड के।
©अभिषेक पाराशर