होली पर
उड़ता गुलाल, लाल, लाल अज गाल पर
हंसी ठिठोली अज, होली की फुहार पर
गली-गली शोर-होर, हर इक द्वार पर
बाल गोपाल ग्वाल, रंगों की बौछार पर
सरसों की पीत और, टेसू पलाश पर
छंद भेद ज्ञान नहीं , होली त्योहार पर
कनक चमक और गोबर के पाथ पर
कहना चाहूं मात्र अज, उड़ते से फाग पर
करने जुहारी आए, संग भंग भाव पर
बृज के बिहारी अज,आस रंग ताव पर
गुजिया की थारी, जब चरण पखारी पर
गले मिले हंस-हंस, ऐसी त्योहारी पर
पाँव धर शीश आज, मांगी गई माफी पर
सत्कार आदर की, न्यारी परिपाटी पर
सबको मंगल शुभ, होली की बोली पर
संस्कृति याद रहे, हल्ला की टोली पर
हाथ जोड़ परणाम सर्वशक्तिमान को
संस्कार याद रहे, भारत भू संतान को