होली छंदमुक्त रचना
छन्द मुक्त
खेले कृष्ना होली खेले कृष्ना।
राधा रानी जी के साथ, होली खेले कृष्ना।
रंग अबीर गुलाल उड़ावे, कृष्णा खेले होली।
भर पिचकारी श्याम चलावे, राधा करे ठिठोली।
प्रेम रंग में रँगी चुनरिया, राधा के अँगना।
राधा रानी जी के साथ, होली खेले कृष्ना।
आगे आगे राधा भागे, पीछे हैं गिरधारी।
भर पिचकारी कान्हा मारी, भीगी राधा प्यारी।
श्याम रँग में रँगे सभी हैं, और रँगी यमुना।
राधा रानी जी के साथ, होली खेले कृष्ना।
संग सहेली नाचे गावें, श्याम करे बरजोरी।
किसी की भीगी अंगिया कोरी, किसी कि बाँह मरोरी।
ब्रजमण्डल में धूम मची है, गाते सब फगुना।
राधा रानी जी के साथ, होली खेले कृष्ना।
अभिनव मिश्र अदम्य