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20 May 2023 · 1 min read

ग्रीष्म ( दोहे)

दोहे : ग्रीष्म

चार माह ग्रीष्म के ,होते हैं घनघोर|
लू चले और ताप बढ़े,आंधी मचावे शोर||

आम पुदीना ,बेल,ककड़ी|
सत्तू ,शरबत का चलै दौर||

बौर बढ़ अमिया ,आम बने|
सीकर,ललचे मनवा मोर||

नानी दादी देय आशीष|
जब नाती,पोते मचावैं शोर||

जब गरमी भीषण बढ़े|
तब घटा घिरै घनघोर||

पड़ै बूंद जब बारिस की|
सोंधी माटी महकै जोर||

डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी

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