ग्रीष्म ( दोहे)
दोहे : ग्रीष्म
चार माह ग्रीष्म के ,होते हैं घनघोर|
लू चले और ताप बढ़े,आंधी मचावे शोर||
आम पुदीना ,बेल,ककड़ी|
सत्तू ,शरबत का चलै दौर||
बौर बढ़ अमिया ,आम बने|
सीकर,ललचे मनवा मोर||
नानी दादी देय आशीष|
जब नाती,पोते मचावैं शोर||
जब गरमी भीषण बढ़े|
तब घटा घिरै घनघोर||
पड़ै बूंद जब बारिस की|
सोंधी माटी महकै जोर||
डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी