होली गीत
होली गीत
मति मारो हमें पिचकारी कन्हैया ,मति मारो हमें पिचकारी ।
कान्हा तुम निर्लज्ज जनम के हमे देखे है दुनियां सारी।
इक तो चल रई पवनपुरवाई, दूजे रंग में मोहे भिगाई।।
छोड़ो कान्हा मोरी कलाई, देहें तुमको दूध मलाई।
भीगी अंगिया सारी कन्हैया, मति मारो हमें पिचकारी।।
चोखो रंग लगाओ हमको, जनम जनम भूले नहीं तुमको।
येंसी प्रीत करो तुम कान्हा जग छूटे तुम ना छूटो कान्हा।।
तुमरी है बलिहारी कन्हैया, मति मारो हमें पिचकारी।
बरसाने की राधा गौरी, सखियों के संग खेले होली।।
उड़त है रंग गुलाल अबीरा, दे दे ताली नाचें अहीरा।
भीगत है नर नारी कन्हैया मति मारो हमें पिचकारी।।
उमेश मेहरा (गाडरवारा)