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20 Mar 2019 · 1 min read

होली की बोली

होली नही हुँकार है
बस दो दिनों का प्यार है
शुभकामना देने वालो कि बाजार है
फिर दुश्मन हजार हैं
और नही शोषक सरकार है
ऊपर से महंगाई की मार है
पेमेन्ट नही हुआ और भी लाचार हैं
घर वाली को छोड़ बगलवाली से आँखे चार है
लाल पीली रंगों से अच्छा साली का अचार है
पुआ पूड़ी छोड़ मटन चिकेन पर मार है
होली के साथ साथ चुनाव का प्रचार है
बस दागी दबंगो का बहार है
चोर फ़रार खड़ा चौकीदार है
कुछ लिखने के लिए कलम तैयार है
मन बेक़रार हुआ क्योंकि होली का खुमार है
सिर्फ़ व सिर्फ़ आपका इंतजार है ।

होली में खाली होगी झोली
Sahityakarsahil

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 333 Views
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