“होली का उल्लास”
पुष्प टेसू के खिले,
उर उल्लसित है, हर्ष मेँ।
अनगिनत हैं भाव हिय मेँ,
चाह के, उत्कर्ष मेँ।।
प्रगति का उद्भास है,
किसलय मेँ, हर एक पर्ण मेँ।
इक अजब सी, ताज़गी है,
छा गई, उत्सर्ग मेँ।।
बह रही फगुनी है पागल,
मद भरा, स्पर्श मेँ।
क्यों हैं बहकी धड़कनेँ,
अब होश जाता, गर्त मेँ।।
इन्द्रधनुषी रँग बिखरे,
अवनि से, अम्बर तलक।
मिलन की “आशा” प्रबल है,
प्रेम ही है, मर्म मेँ।।
भावनाओं का समन्दर,
क्यों हिलोरें ले रहा।
भर गए सतरंग मन मेँ,
होलिका के पर्व मेँ..!
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रचयिता-
Dr.asha kumar rastogi
M.D.(Medicine),DTCD
Ex.Senior Consultant Physician,district hospital, Moradabad.
Presently working as Consultant Physician and Cardiologist,sri Dwarika hospital,near sbi Muhamdi,dist Lakhimpur kheri U.P. 262804 M.9415559964