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3 Mar 2018 · 1 min read

होरी

होरी ….!
********
अब तौ धर दै ढोल मृदंग, खेलियो परकै फिर होरी ।
परकै फिर होरी, खेलियो परकै फिर होरी ।।
*
खूब भंग तैनै अबकै छानी,
बहुत करी अपनी मनमानी,
अब तौ सुध लै बाट जोह रही तेरी घर गोरी ।१
*
खाई चोट दृगन की भारी,
खूब चलाई भर पिचकारी,
धर दै याय अटा पै अब मत करियो बरजोरी ।२
*
गालन खूब गुलाल लगायौ,
लत्ता फारे मन हरषायौ,
अब तौ कर लै चेत घोरियो परकै फिर रोरी ।३
*
परकै फिर होरी आवैगी,
रंग भंग चंदन लावैगी,
कब जानै सुन रसिया टूटै साँसन की डोरी ।४
*
मिली पुण्य ते ब्रज की होरी,
श्यामा-श्याम हैं चंद्र-चकोरी,
‘ज्योति’ रँगी कान्हाँ के रँग में सतरंगी होरी ।५
*
-महेश जैन ‘ज्योति’
***
शब्दार्थ:
परकै-अगले वर्ष,
दृगन की-आँखों की,
लत्ता-कपड़े,

Language: Hindi
Tag: गीत
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