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21 May 2021 · 1 min read

होने लगी बरसात

होने लगी बरसात
प्राणियों के पुलकित है गात
मन चाहे प्रियतम से कर ले बात
काली काली घटा घेरे दिन लगे रात
दादुर पपीहा मयूर की औकात
क्रषक करे वसुधा मे बोनी की शुरुआत
छतरी और रैनकोट से ढके गात
झूम रहे वन उपवन तरुओ के पात
कूप नदी नाले नल उछल करे बात
बादल धरा से शुभ करे मुलाकात
त्रिविध समीर बहे स्वागत है नात
गर्मी की विदाई करने लगी बरसात
बैंड बाजे बिजली चमके बादल की बारात
खुशियों की लाए मेघ मुफ्त में सौगात
भेद नहीं करते जो धर्म और जात
मनमोहक हरियाली की हुई शुरुआत
सूखा ना बाढ़ आई सावन में बरसात
आओ करे पौधा रोपड़ करने की बात
भूमि ने स्नान किया हो गयी बरसात

2 Likes · 2 Comments · 314 Views
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