होने लगी बरसात
होने लगी बरसात
प्राणियों के पुलकित है गात
मन चाहे प्रियतम से कर ले बात
काली काली घटा घेरे दिन लगे रात
दादुर पपीहा मयूर की औकात
क्रषक करे वसुधा मे बोनी की शुरुआत
छतरी और रैनकोट से ढके गात
झूम रहे वन उपवन तरुओ के पात
कूप नदी नाले नल उछल करे बात
बादल धरा से शुभ करे मुलाकात
त्रिविध समीर बहे स्वागत है नात
गर्मी की विदाई करने लगी बरसात
बैंड बाजे बिजली चमके बादल की बारात
खुशियों की लाए मेघ मुफ्त में सौगात
भेद नहीं करते जो धर्म और जात
मनमोहक हरियाली की हुई शुरुआत
सूखा ना बाढ़ आई सावन में बरसात
आओ करे पौधा रोपड़ करने की बात
भूमि ने स्नान किया हो गयी बरसात