होते है कुछ लड़के..
होते है कुछ लड़के
जिनके लिए मुश्किल होता है घर लौटना
जिसे पाने निकले हो
उसके लिए रोज तड़पते रहना
नहीं रहता उन्हें दिन और तारीख याद
नहीं मना पाते वो पर्व और त्योहार
घर से जब उम्मीदों का फोन आता है
पेपर अच्छा गया है बाबूजी
लड़के बेचारे बस इतना कह पाते है
सूरज और चांद में बिना फर्क किए
वो बस अपने सपनो की मंजिल पाने
स्याही में शरोबार हो जाते है
होते है कुछ लड़के
जो डरते है
बढ़ती उम्र और जमाने से
डरते है पड़ोसी-रिश्तेदार और ताने से
और कभी नौकरी न देने वाली
सरकार के आने से
वो डरते है कहीं भी बाहर जाने से
कोशिश करते रहते है ऐसे लड़के
एक नौकरी के लिए
अपनी मां के आंखो की रौशनी के लिए
अपने पिता के गर्व के लिए
होते है कुछ लड़के
जो टूट जाते है
अपने हिस्से का संघर्ष करते -करते
कभी -कभी हो जाते है जिंदा लाश की तरह
तो कभी किताबों के बीच
छत से लटके पंखे से झूल जाते है
अपने पंखों को परवाज दिए बिना
अपना सारा सामर्थ्य , सारी हिम्मतगंवा कर
नहीं लौट पाते कुछ लड़के
होते है कुछ लड़के
अभिषेक राजहंस