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5 May 2017 · 1 min read

होते हुए देखा

रोशन सुबह को अँधेरी शाम होते हुए देखा
मोहबत मे कइयों को बदनाम होते हुए देखा

इज्जत गयी तैल लेने कुछ काम ना आयी
हमने तो भाइयो पैसो को सलाम होते हुए देखा

मेहनत से मिली रोटी दो वक्त की
धोखेबाजों का हमने आराम होते हुए देखा

लोकतंत्र का नाम देकर हो रही मनमानी
हमने तो इस आज़ादी को गुलाम होते हुए देखा

कहने को कहते है हम सब एक हैं हमने तो
कुछ दंगो की वजह अल्लाह राम होते हुए देखा

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